रुद्रांश खंडेलवाल की कहानी असाधारण साहस और दृढ़ संकल्प की मिसाल है। 2015 में, जब रुद्रांश केवल 8 साल के थे, वे एक हादसे का शिकार हुए, जिसने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। भरतपुर में अपनी चचेरी बहन की शादी के दौरान आतिशबाजी का आनंद लेते हुए, एक अप्रत्याशित घटना ने उनके बाएं पैर को घुटने के नीचे से काट दिया। इस हादसे के बाद, कई अस्पतालों में इलाज के बावजूद उनका पैर बचाया नहीं जा सका, और उन्हें कृत्रिम पैर के सहारे जीवन बिताने का निर्णय लेना पड़ा।
विकलांगता को नहीं बनने दिया बाधा
कठिन परिस्थितियों में भी रुद्रांश ने हार मानने से इंकार कर दिया। उनकी मां, जो भरतपुर विश्वविद्यालय में व्याख्याता हैं, ने उन्हें अवसाद से बचाने के लिए खेल में सक्रिय करने का विचार किया। उन्होंने निशानेबाजी को एक ऐसे खेल के रूप में चुना, जिसमें रुद्रांश ने अपनी ऊर्जा और संकल्प को केंद्रित किया। इस निर्णय ने न केवल रुद्रांश को जीवन में नई दिशा दी, बल्कि उन्हें एक उत्कृष्ट निशानेबाज भी बनाया।
निशानेबाजी में सफलता की ओर बढ़ते कदम
अपने कोच सुमित राठी की देखरेख में, रुद्रांश ने निशानेबाजी में अपनी प्रतिभा को निखारा और जल्द ही 50 मीटर पिस्टल (एसएच1) में शीर्ष स्थान पर पहुंच गए। रुद्रांश ने दिखाया कि किसी भी चुनौती को पार करने के लिए मानसिक मजबूती और समर्पण कितना महत्वपूर्ण होता है। उनकी यह यात्रा कई युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
पैरिस पैरालंपिक 2024: गोल्ड का सपना
अब रुद्रांश का लक्ष्य है पैरिस पैरालंपिक 2024 में स्वर्ण पदक जीतना। यह उनका पहला पैरालंपिक होगा, और वह इस मौके को किसी भी कीमत पर भुनाना चाहते हैं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक के दौरान मनु भाकर के पिस्टल की खराबी से सबक लिया और हर प्रतियोगिता के लिए एक अतिरिक्त पिस्टल और अपने कृत्रिम पैर के लिए एक ‘टूल-किट’ साथ रखते हैं। उनका मानना है कि किसी भी प्रतिकूल स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना ही सफलता की कुंजी है।
आत्मविश्वास और तैयारी: सफलता के लिए रुद्रांश का मंत्र
रुद्रांश खंडेलवाल का कहना है कि उनके जीवन का मंत्र है – “किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना और अपनी क्षमता पर भरोसा बनाए रखना।” वह न केवल निशानेबाजी में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में इस मंत्र को अपनाते हैं। पैरिस पैरालंपिक में उनके प्रदर्शन को लेकर पूरे देश को उनसे उम्मीदें हैं।
रुद्रांश की प्रेरणादायक यात्रा
रुद्रांश खंडेलवाल की कहानी यह साबित करती है कि एक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति उसकी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। उनके हौसले और समर्पण ने उन्हें उस मुकाम तक पहुंचाया है, जहां से वह पैरिस पैरालंपिक 2024 में स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार हैं। उनकी यह यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहा है।
रुद्रांश का यह साहसिक कदम बताता है कि अगर दिल में जुनून और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता आपका रास्ता नहीं रोक सकता।