मनु भाकर: कैसे ओलंपिक पदकों ने एक साधारण खिलाड़ी को करोड़पति बना दिया

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मनु भाकर, हरियाणा की एक छोटे से गांव से आने वाली, 22 वर्षीय निशानेबाज हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से विश्व स्तर पर अपना नाम कमाया। बचपन में मनु का झुकाव कई खेलों की ओर था, लेकिन उन्होंने निशानेबाजी को अपना करियर चुना। उनके पिता ने उनकी इस रुचि को समझते हुए उन्हें 1.5 लाख रुपये की मदद दी, जिससे उन्होंने अपनी शुरुआती प्रशिक्षण शुरू की।

पेरिस ओलंपिक: ऐतिहासिक सफलता

पेरिस ओलंपिक में मनु भाकर ने दो ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। यह सफलता न केवल उनके खेल जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, बल्कि उनके जीवन को भी पूरी तरह से बदल दिया। ओलंपिक में उनकी इस सफलता ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया और उनकी पहचान पूरे देश में फैल गई।

ब्रांड इंडोर्समेंट्स और नेटवर्थ में वृद्धि

पेरिस ओलंपिक से पहले, मनु की कुल नेटवर्थ लगभग 60 लाख रुपये थी, जो मुख्यतः उनके खेल जीतों और कुछ ब्रांड इंडोर्समेंट्स से आई थी। लेकिन ओलंपिक पदक जीतने के बाद, उनकी नेटवर्थ में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्हें थम्स अप, नथिंग इंडिया, और परफॉर्मैक्स जैसे बड़े ब्रांड्स से विज्ञापन के प्रस्ताव मिले। थम्स अप के साथ उनकी डील लगभग 1.5 करोड़ रुपये की मानी जाती है, जिससे उनकी कुल संपत्ति 12 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गई है।

मनु भाकर की बढ़ती ब्रांड वैल्यू

ओलंपिक से पहले, मनु एक विज्ञापन के लिए 8 लाख से 30 लाख रुपये चार्ज करती थीं, लेकिन अब उनकी ब्रांड वैल्यू 1.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। उनकी यह बढ़ती लोकप्रियता और ब्रांड वैल्यू उनके खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन और उनकी प्रेरणादायक यात्रा का परिणाम है।

सरकार और संस्थाओं का योगदान

मनु भाकर की सफलता के पीछे कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं का भी योगदान है। उन्हें अपनी ट्रेनिंग और इवेंट्स के लिए हर साल ACTC (Annual Calendar for Training and Competitions) से वित्तीय सहायता मिलती रही है, जिससे उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिला।

निष्कर्ष

मनु भाकर की सफलता की कहानी दिखाती है कि कैसे कड़ी मेहनत, समर्पण और सही अवसर मिलने पर कोई भी व्यक्ति महान ऊंचाइयों को छू सकता है। पेरिस ओलंपिक ने न केवल उनके करियर को ऊंचाई दी, बल्कि उनकी जीवनशैली और पहचान को भी पूरी तरह से बदल दिया। अब मनु भाकर सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन चुकी हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल हैं।

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लेखक के बारे में
क्रिकेट विशेषज्ञ

1987 में कोलकाता में पैदा हुए रोहन शर्मा ने 2012 में पुणे विश्वविद्यालय से स्पोर्ट्स सांख्यिकी में मास्टर्स की डिग्री पूरी की। 2013 से 2020 तक, उन्होंने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ सहयोग किया, खिलाड़ियों के एनालिटिक्स और खेल रणनीति के अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित किया। शर्मा ने 16 शैक्षिक पेपर लिखे हैं, मुख्य रूप से गेंदबाजी तकनीकों के विकास और फ़ील्ड प्लेसमेंट के परिवर्तन का समर्थन किया। 2021 में, उन्होंने पत्रकारिता में परिवर्तन किया। शर्मा वर्तमान में क्रिकेट पर विश्लेषणात्मक लेख लिखते हैं, मैच गतिकी और खिलाड़ी रणनीतियों पर दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, नियमित रूप से विभिन्न खेल-केंद्रित प्लेटफ़ॉर्मों में योगदान करते हैं।

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