पेरिस ओलंपिक 2024: लक्ष्य सेन की हार से टूटा 12 साल का सफर!

पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारत के बैडमिंटन प्रेमियों के लिए एक बड़ी निराशा सामने आई है। लक्ष्य सेन, जो भारत के लिए पदक की आखिरी उम्मीद थे, सेमीफाइनल मुकाबले में हार गए। दुनिया के नंबर-2 खिलाड़ी डेनमार्क के विक्टर एक्सेल्सेन ने उन्हें 22-20, 21-14 से पराजित किया। इस हार के साथ ही भारत का बैडमिंटन में 12 साल का मेडल जीतने का सिलसिला भी टूट गया है।

भारत का बैडमिंटन में सफर

भारत ने अब तक पेरिस ओलंपिक्स 2024 में कुल 3 मेडल जीते हैं, लेकिन बैडमिंटन में पदक जीतने की उम्मीदों को एक बड़ा झटका लगा है। लक्ष्य सेन ने क्वार्टरफाइनल तक बेहतरीन खेल दिखाया और सेमीफाइनल में भी एक्सेल्सेन को कड़ी टक्कर दी, लेकिन अनुभव की कमी उनके लिए भारी पड़ी।

पिछले 12 सालों का इतिहास

पिछले 12 सालों में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने ओलंपिक्स में लगातार मेडल जीते हैं। 2012 लंदन ओलंपिक्स में साइना नेहवाल ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। 2016 रियो ओलंपिक्स में पीवी सिंधु ने सिल्वर मेडल जीता और 2020 टोक्यो ओलंपिक्स में सिंधु ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। इस बार, पेरिस ओलंपिक्स में कोई भी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पदक नहीं जीत सका।

प्रमुख खिलाड़ियों का प्रदर्शन

पीवी सिंधु इस बार अच्छे फॉर्म में नहीं दिखीं। उन्होंने 2024 में कई बड़े टूर्नामेंट्स के क्वार्टरफाइनल और सेमीफाइनल में हार का सामना किया, जिससे उनकी रैंकिंग भी गिर गई। पुरुष डबल्स में चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रेड्डी की जोड़ी से बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन वे भी क्वार्टरफाइनल में हारकर बाहर हो गए।

आगे की चुनौतियाँ

हालांकि, लक्ष्य सेन के पास अभी भी ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका है, लेकिन यह देखना बाकी है कि वे इस मौके को किस तरह भुनाते हैं। भारत के बैडमिंटन में बढ़ते प्रभुत्व के बावजूद पेरिस ओलंपिक्स में कोई पदक नहीं जीत पाना एक बड़ी निराशा है।

पेरिस ओलंपिक्स 2024 में बैडमिंटन में पदक की दौड़ में भारत की असफलता को देखते हुए, यह जरूरी है कि हम अपने खिलाड़ियों को और अधिक समर्थन और प्रशिक्षण दें ताकि वे भविष्य में और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

इस हार के बावजूद, भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों का संघर्ष और उनकी मेहनत काबिल-ए-तारीफ है। हमें उम्मीद है कि भविष्य में वे और भी ऊँचाइयाँ छुएंगे और देश का नाम रोशन करेंगे।

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लेखक के बारे में
क्रिकेट विशेषज्ञ

1987 में कोलकाता में पैदा हुए रोहन शर्मा ने 2012 में पुणे विश्वविद्यालय से स्पोर्ट्स सांख्यिकी में मास्टर्स की डिग्री पूरी की। 2013 से 2020 तक, उन्होंने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ सहयोग किया, खिलाड़ियों के एनालिटिक्स और खेल रणनीति के अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित किया। शर्मा ने 16 शैक्षिक पेपर लिखे हैं, मुख्य रूप से गेंदबाजी तकनीकों के विकास और फ़ील्ड प्लेसमेंट के परिवर्तन का समर्थन किया। 2021 में, उन्होंने पत्रकारिता में परिवर्तन किया। शर्मा वर्तमान में क्रिकेट पर विश्लेषणात्मक लेख लिखते हैं, मैच गतिकी और खिलाड़ी रणनीतियों पर दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, नियमित रूप से विभिन्न खेल-केंद्रित प्लेटफ़ॉर्मों में योगदान करते हैं।

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