ओलंपिक में भारत की 7 अदम्य वीरांगनाएं: जानें उनके संघर्ष और सफलता की रोमांचक कहानियां

भारत की महिला एथलीट्स ने ओलंपिक में अपने अद्वितीय प्रदर्शन से देश का नाम रौशन किया है। इन वीरांगनाओं की कहानियां संघर्ष, साहस और अदम्य इच्छाशक्ति का प्रतीक हैं। आइए जानते हैं उन 7 महिला एथलीट्स के बारे में जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीतकर इतिहास रचा:

1. साक्षी मलिक: रेसलिंग की रणभूमि

साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में 58 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारतीय कुश्ती में नया इतिहास रचा। उन्होंने ऐसुलु टाइनीबेकोवा को 8-5 से हराकर यह मेडल जीता। साक्षी की जीत ने भारतीय महिलाओं के खेलों में नई उम्मीदें जगाई हैं।

2. कर्णम मल्लेश्वरी: आयरन लेडी का इतिहास

कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में वेटलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला एथलीट बनने का गौरव प्राप्त किया। उन्होंने स्नैच में 110 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 130 किग्रा वजन उठाकर कुल 240 किग्रा का भार उठाया। कर्णम की यह सफलता भारतीय खेलों में मील का पत्थर साबित हुई।

3. लवलीना बोरगोहेन: बॉक्सिंग की नई उम्मीद

लवलीना बोरगोहेन ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत के लिए तीसरा बॉक्सिंग मेडल जीता। अपने पहले ही ओलंपिक में मेडल जीतकर उन्होंने अपने करियर की धमाकेदार शुरुआत की।

4. साइना नेहवाल: बैडमिंटन की शेरनी

5. मीराबाई चानू: वेटलिफ्टिंग की चैंपियन

मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। उन्होंने कुल 202 किग्रा वजन उठाकर यह मेडल जीता। उनकी सफलता ने युवा वेटलिफ्टर्स के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है।

6. एमसी मैरीकॉम: रिंग की रानी

एमसी मैरीकॉम ने लंदन ओलंपिक 2012 में फ्लाईवेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत की पहली महिला बॉक्सर बनने का गौरव हासिल किया। पांच बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम ने अपने पहले ओलंपिक में ही यह उपलब्धि प्राप्त की।

7. पीवी सिंधु: शटलर स्टार

पीवी सिंधु ने रियो ओलंपिक 2016 में सिल्वर और टोक्यो ओलंपिक 2020 में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वे ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं। उनकी जीत न केवल उनकी प्रतिभा का प्रतीक है, बल्कि भारतीय बैडमिंटन की सफलता की कहानी भी है।

इन सभी महिला एथलीट्स ने न केवल पदक जीते, बल्कि लाखों भारतीयों को प्रेरित किया है। उनकी कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि कठिनाइयों से लड़कर और निरंतर प्रयास से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। वे सभी भारतीय खेलों की सच्ची नायिकाएं हैं।

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लेखक के बारे में
क्रिकेट विशेषज्ञ

1987 में कोलकाता में पैदा हुए रोहन शर्मा ने 2012 में पुणे विश्वविद्यालय से स्पोर्ट्स सांख्यिकी में मास्टर्स की डिग्री पूरी की। 2013 से 2020 तक, उन्होंने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ सहयोग किया, खिलाड़ियों के एनालिटिक्स और खेल रणनीति के अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित किया। शर्मा ने 16 शैक्षिक पेपर लिखे हैं, मुख्य रूप से गेंदबाजी तकनीकों के विकास और फ़ील्ड प्लेसमेंट के परिवर्तन का समर्थन किया। 2021 में, उन्होंने पत्रकारिता में परिवर्तन किया। शर्मा वर्तमान में क्रिकेट पर विश्लेषणात्मक लेख लिखते हैं, मैच गतिकी और खिलाड़ी रणनीतियों पर दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, नियमित रूप से विभिन्न खेल-केंद्रित प्लेटफ़ॉर्मों में योगदान करते हैं।

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