
2011 वर्ल्ड कप फाइनल की एक अहम रणनीतिक चाल को लेकर लंबे समय से चर्चा रही है — आखिर क्यों महेंद्र सिंह धोनी को युवराज सिंह से पहले बल्लेबाजी के लिए भेजा गया? इस पर अब खुद सचिन तेंदुलकर ने कारण स्पष्ट किए हैं।
सहवाग का खुलासा और सचिन की पुष्टि
वीरेंदर सहवाग ने पहले ही बताया था कि यह फैसला धोनी का नहीं, बल्कि सचिन तेंदुलकर का सुझाव था। अब रेडिट पर ‘Ask Me Anything’ सेशन में एक फैन के सवाल पर सचिन ने इसकी पुष्टि की और इसके पीछे की असली रणनीति समझाई।
सचिन के दो बड़े कारण
- लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन – उस समय श्रीलंका के पास दो ऑफ-स्पिनर थे। सचिन के मुताबिक, लेफ्टी गौतम गंभीर के साथ राइट-हैंडर धोनी को भेजने से स्पिनरों के लिए दिक्कत खड़ी होती।
- मुरलीधरन के खिलाफ अनुभव – मुथैया मुरलीधरन चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के लिए खेल चुके थे। धोनी ने नेट्स में तीन साल लगातार उन्हें फेस किया था और उनकी गेंदबाजी को अच्छी तरह पढ़ना जानते थे। इसलिए धोनी को उस स्थिति में युवराज से बेहतर विकल्प माना गया।
मैच का संदर्भ
- श्रीलंका ने पहले खेलते हुए 274/6 रन बनाए।
- भारत ने शुरुआत में ही सहवाग (0) और सचिन (18) के विकेट गंवा दिए।
- विराट कोहली (35) भी जल्दी आउट हुए और स्कोर 114/3 हो गया।
- इसी समय युवराज की जगह धोनी को भेजा गया।
मैच का टर्निंग प्वाइंट
धोनी और गंभीर ने चौथे विकेट के लिए 119 रन की साझेदारी कर पारी को संभाला।
- गौतम गंभीर 97 रन बनाकर आउट हुए।
- धोनी ने नाबाद 91* रन बनाए और युवराज (21*) के साथ मिलकर भारत को 6 विकेट से ऐतिहासिक जीत दिलाई।
निष्कर्ष
सचिन के सुझाव से लिया गया यह फैसला भारत के लिए निर्णायक साबित हुआ। धोनी की मैच जिताऊ पारी और गंभीर की जिम्मेदार बल्लेबाजी के दम पर टीम इंडिया ने 28 साल बाद वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम की।