42 का औसत, 162 का स्ट्राइक रेट – फिर भी रिंकू सिंह टीम से बाहर

साउथ अफ्रीका टी20 सीरीज की टीम में रिंकू का नाम गायब

साउथ अफ्रीका के खिलाफ 5 मैचों की टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम का ऐलान हो चुका है। सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में 15 खिलाड़ियों की स्क्वॉड चुनी गई, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि रिंकू सिंह इसमें नहीं हैं।
टी20 में दुनिया के बेहतरीन फिनिशरों में गिने जाने वाले रिंकू को पूरी सीरीज से बाहर रख दिया गया।

बेंच पर बैठे-बैठे स्क्वॉड से बाहर

एशिया कप 2025 में रिंकू सिंह टीम का हिस्सा थे, लेकिन ग्रुप स्टेज के बाद उन्हें सुपर-4 में लगातार बेंच पर बैठाया गया।
फाइनल में हार्दिक पंड्या के चोटिल होने पर उन्हें मौका मिला, जहां उन्होंने सिर्फ एक गेंद खेली और उसी पर चौका मारकर भारत को खिताब जिताया।
उसके बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी उन्हें केवल आखिरी टी20 में प्लेइंग इलेवन में जगह मिली, लेकिन बारिश के कारण मैच 5वें ओवर में ही रद्द हो गया और रिंकू बैटिंग तक नहीं कर पाए।

भारत के लिए रिंकू के आंकड़े कितने प्रभावशाली हैं

रिंकू सिंह ने 2023 में भारत के लिए टी20 इंटरनेशनल डेब्यू किया।
अब तक वह 35 टी20आई में 550 रन बना चुके हैं। उनका औसत 42 और स्ट्राइक रेट 161.76 है।
वह 3 अर्धशतक जड़ चुके हैं, साथ ही 46 चौके और 31 छक्के लगा चुके हैं।
इतने दमदार आंकड़ों के बावजूद वह मौजूदा टी20 स्क्वॉड में जगह नहीं बना पा रहे।

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टी20 करियर में भी लगातार असरदार प्रदर्शन

कुल टी20 क्रिकेट की बात करें तो रिंकू ने 172 मैचों में लगभग 34 की औसत और 148 के स्ट्राइक रेट से 3309 रन बनाए हैं।
ये नंबर बताते हैं कि वह सिर्फ इंटरनेशनल नहीं, बल्कि लीग और डोमेस्टिक टी20 में भी लगातार असर डालते रहे हैं।

कोच बदलते ही बदला पसंदीदा बैटिंग क्रम

गौतम गंभीर के हेड कोच बनने के बाद रिंकू सिंह की सबसे बड़ी ताकत – उनका पसंदीदा बैटिंग स्लॉट – भी उनसे छिनता दिखा।
वह आम तौर पर नंबर 5 पर बैटिंग करते थे, लेकिन गंभीर के कार्यकाल में उन्हें इस पोजीशन पर सिर्फ दो बार मौका मिला, जहां उन्होंने 53 और 30 रन की पारियां खेलीं।
पिछली 5 पारियों में भारत के लिए उन्हें तीन बार नंबर 7 पर भेजा गया, जहां फिनिशर की भूमिका निभाना और भी मुश्किल हो जाता है।

टीम की नई सोच: स्पेशलिस्ट से ज्यादा ऑलराउंडर पर भरोसा

टेस्ट और वनडे की तरह टीम इंडिया अब टी20 में भी ज्यादा फोकस ऑलराउंडर्स पर कर रही है।
साउथ अफ्रीका सीरीज के लिए सिर्फ तीन स्पेशलिस्ट बल्लेबाज चुने गए हैं – कप्तान सूर्यकुमार यादव, उपकप्तान शुभमन गिल और तिलक वर्मा।
इसके आसपास पूरी बैटिंग का बोझ बांटने के लिए 5 ऑलराउंडर मौजूद हैं: अभिषेक शर्मा, हार्दिक पंड्या, शिवम दुबे, अक्षर पटेल और वॉशिंगटन सुंदर।

तो फिर रिंकू की गलती क्या मानी जाए?

ऐसे में सवाल उठता है कि 42 की औसत और 162 के स्ट्राइक रेट वाले फिनिशर की गलती क्या है?
लगातार बेंच पर बैठाना, पसंदीदा स्लॉट से हटाना और फिर स्क्वॉड से ही बाहर कर देना – यह सब चयन की सोच में बदलाव की ओर इशारा करता है, न कि रिंकू के खेल में कमी की ओर।
फिलहाल इतना साफ है कि टीम मैनेजमेंट की प्राथमिकता बहुउपयोगी ऑलराउंडर हैं, और इसी नई नीति के बीच रिंकू सिंह जैसे शुद्ध फिनिशर हाशिये पर चले गए हैं।

लेखक के बारे में
क्रिकेट विशेषज्ञ

1987 में कोलकाता में पैदा हुए रोहन शर्मा ने 2012 में पुणे विश्वविद्यालय से स्पोर्ट्स सांख्यिकी में मास्टर्स की डिग्री पूरी की। 2013 से 2020 तक, उन्होंने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ सहयोग किया, खिलाड़ियों के एनालिटिक्स और खेल रणनीति के अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित किया। शर्मा ने 16 शैक्षिक पेपर लिखे हैं, मुख्य रूप से गेंदबाजी तकनीकों के विकास और फ़ील्ड प्लेसमेंट के परिवर्तन का समर्थन किया। 2021 में, उन्होंने पत्रकारिता में परिवर्तन किया। शर्मा वर्तमान में क्रिकेट पर विश्लेषणात्मक लेख लिखते हैं, मैच गतिकी और खिलाड़ी रणनीतियों पर दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, नियमित रूप से विभिन्न खेल-केंद्रित प्लेटफ़ॉर्मों में योगदान करते हैं।

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