
मैच के बीच ड्रामा और उससे निकला बड़ा सवाल
भारत बनाम पाकिस्तान महिला वनडे वर्ल्ड कप मुकाबले में हार के साथ कुछ हरकतें भी चर्चा में रहीं. वीडियो और पोस्ट वायरल हुए और बहस मैदान से बाहर निकलकर सिस्टम तक पहुंच गई. मुद्दा यह कि पाकिस्तान में महिला क्रिकेट की हालत वास्तविक रूप से कैसी है.
कम भागीदारी वाले ट्रायल्स और खिलाड़ी जुटाने की मुश्किल
महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए पीसीबी ने छह क्रिकेट एसोसिएशनों में ट्रायल कराए थे. पूरे देश से कुल एक हजार एक सौ अठारह लड़कियों ने हिस्सा लिया. सेंट्रल पंजाब से दो सौ सतासी प्रतिभागी आईं. खैबर पख्तूनख्वा से दो सौ पचास. बलूचिस्तान से दो सौ अठारह. साउदर्न पंजाब से दो सौ तेईस. नॉर्दर्न से एक सौ चालीस. इनमें से अंडर उन्नीस इमर्जिंग और सीनियर ग्रुप चुने गए. तुलना में बीसीसीआई के घरेलू ढांचे में कई राज्यों की टीमें खेलती हैं और वहां अधिक खिलाड़ी अवसर पाने की तैयारी करती हैं.
सैलरी स्ट्रक्चर पर लगातार सवाल और हालिया बढ़ोतरी
रिपोर्टों के मुताबिक घरेलू महिला क्रिकेटरों की मासिक रिटेनर लंबे समय तक बहुत कम रही. दो हजार चौबीस पच्चीस में बेस रिटेनर पैंतीस हजार पाकिस्तानी रुपये बताई गई. पुरुष घरेलू खिलाड़ियों को क्वैद ए आजम ट्रॉफी मैच फीस और उच्च ग्रेड रिटेनर कई गुना ज्यादा मिलते हैं. विवाद बढ़ने के बाद पीसीबी ने दो हजार पच्चीस छब्बीस के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट रिटेनर में पचास प्रतिशत बढ़ोतरी की घोषणा की और कॉन्ट्रैक्टेड खिलाड़ियों की संख्या सोलह से बढ़ाकर चौबीस कर दी.
बजट छोटा पर संरचना में विस्तार की कोशिश
महिला घरेलू क्रिकेट बजट में लगभग चार प्रतिशत वृद्धि के बाद कुल आवंटन सैंतीस दशमलव दो मिलियन पाकिस्तानी रुपये यानी लगभग एक दशमलव एक एक छह करोड़ रुपये हुआ. यह राशि सीमित मानी जा रही है इसलिए टूर्नामेंट संरचना और खिलाड़ी पूल को स्थायी रूप से मजबूत करना चुनौती बना हुआ है.
पृष्ठभूमि मजबूत पर पेशेवर राह लंबी
टीम में कई खिलाड़ी ऐसे परिवारों से आती हैं जो खेल को सपोर्ट करते हैं. किसी के घर में अंपायर रहे. कोई क्रिकेटिंग परिवार से है. कई अपर मिडिल क्लास से हैं. इसलिए वे केवल बोर्ड की रकम पर निर्भर नहीं रहतीं. फिर भी बड़े पैमाने पर नए खिलाड़ियों को जोड़ना कोचिंग ढांचा बढ़ाना और आर्थिक सुरक्षा देना जरूरी है ताकि प्रतिभा सिर्फ चुनिंदा पृष्ठभूमि तक सीमित न रहे.