भारतीय पहलवान निशा दहिया ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 में महिलाओं की 68 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। हालांकि, क्वार्टरफाइनल मुकाबले में उन्हें गंभीर चोट का सामना करना पड़ा और वह टूटा हुआ हाथ होने के बावजूद मैदान पर डटी रहीं।
जबरदस्त शुरुआत, लेकिन चोट ने बनाया बाधा
क्वार्टरफाइनल मुकाबले में निशा ने उत्तर कोरिया की सोल गुम के खिलाफ जोरदार शुरुआत की। पहले हाफ की समाप्ति पर निशा 4-0 से आगे थीं और दूसरे हाफ में 8-1 की बढ़त बनाई। लेकिन इसी बीच उनकी कोहनी या कंधे की हड्डी का जोड़ हट गया। इसके बावजूद निशा ने हार नहीं मानी और दर्द के साथ मुकाबला जारी रखा।
दर्द और दृढ़ता: डॉक्टरों की तीन बार मदद
निशा की हालत इतनी गंभीर हो गई कि डॉक्टरों को तीन बार मैट पर आना पड़ा। लेकिन निशा ने हार मानने से इंकार कर दिया और टूटा हुआ हाथ होने के बावजूद मुकाबला जारी रखा। अंततः उत्तर कोरिया की सोल गुम ने 10-8 के अंतर से निशा को हराया और उनका ओलंपिक सफर समाप्त हो गया।
पहले राउंड में शानदार प्रदर्शन
इससे पहले, निशा ने पहले राउंड में यूक्रेन की टेटियाना सोवा को 6-4 के अंतर से हराकर क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया था। उनकी जीत ने भारत को उनसे मेडल की उम्मीदें जगा दी थीं। 2012 लंदन ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले दिग्गज पहलवान योगेश्वर दत्त ने भी निशा की प्रतिभा की तारीफ की थी और उनसे बड़ी उम्मीदें जताई थीं।
खेल भावना का अद्भुत उदाहरण
हार के बाद निशा की आंखों में आंसू थे, लेकिन उनकी प्रतिद्वंदी सोल गुम ने खेल भावना का परिचय देते हुए उन्हें उठने में मदद की। निशा की इस संघर्षपूर्ण यात्रा ने सभी को प्रेरित किया और खेल के प्रति उनके समर्पण को सलाम किया।
भारत के लिए मेडल की उम्मीदें
निशा दहिया के इस प्रदर्शन ने भारतीय कुश्ती के भविष्य के लिए उम्मीदें जगाई हैं। हालांकि, चोट ने उन्हें इस बार मेडल से वंचित कर दिया, लेकिन उनका संघर्ष और मेहनत आने वाले समय में भारतीय कुश्ती को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
निष्कर्ष
पेरिस ओलंपिक्स 2024 में निशा दहिया का सफर भले ही चोट की वजह से समाप्त हो गया हो, लेकिन उनकी दृढ़ता और संघर्ष ने सभी का दिल जीत लिया। निशा का यह जज्बा और खेल भावना आने वाले युवा पहलवानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।