पेरिस ओलंपिक 2024: भारतीय दल की उम्मीदें और हकीकत

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पेरिस ओलंपिक 2024 का समापन भारतीय खेल प्रेमियों के लिए एक निराशाजनक नोट पर हुआ। 140 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए यह ओलंपिक एक बड़ा झटका साबित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘खेलो इंडिया’ विजन और भारी निवेश के बावजूद, भारत इस बार केवल 6 पदक ही जीत सका, जो कि अपेक्षाओं से काफी कम है। आइए, इस ओलंपिक में भारतीय दल के प्रदर्शन और आगामी चुनौतियों पर एक नज़र डालते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का ‘खेलो इंडिया’ विजन: क्या हुआ गलत?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘खेलो इंडिया’ विजन देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। इसके तहत भारतीय एथलीटों को ओलंपिक की तैयारियों के लिए 470 करोड़ रुपये का भारी निवेश किया गया। यह उम्मीद की जा रही थी कि इस बार भारतीय दल तोक्यो ओलंपिक के 7 पदकों को पीछे छोड़ते हुए दहाई का आंकड़ा पार करेगा। लेकिन, नतीजे इसके विपरीत रहे और भारत को केवल 6 पदकों के साथ 71वें स्थान पर संतोष करना पड़ा।

Olympic Games 2024 India

भारतीय एथलीटों का प्रदर्शन: पदकों की उम्मीदों पर पानी

पेरिस ओलंपिक में भारतीय एथलीटों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। नीरज चोपड़ा, जो कि तोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडलिस्ट थे, इस बार केवल सिल्वर मेडल जीत सके। महिला पहलवान विनेश फोगाट, जिनसे भी काफी उम्मीदें थीं, वजन की वजह से अयोग्य घोषित हो गईं। मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीते, लेकिन इसके अलावा अन्य भारतीय एथलीट उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।

पैसा मेडल नहीं ला सकता: अभिनव बिंद्रा की टिप्पणी

बीजिंग ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा ने भारतीय दल के प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल पैसा खर्च करने से मेडल नहीं आते। उन्होंने कहा कि हमें यह समझने की ज़रूरत है कि पैसा कहां और कैसे खर्च करना है, ताकि उसका अधिकतम लाभ मिल सके। बिंद्रा की यह टिप्पणी भारतीय खेल प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है।

Abhinav Bindra

पाकिस्तान से भी पीछे: एक और निराशाजनक पहलू

भारतीय खेल प्रेमियों के लिए एक और बड़ा झटका तब लगा जब भारत पेरिस ओलंपिक में पाकिस्तान से भी पीछे रहा। पाकिस्तान ने एक गोल्ड मेडल के साथ 62वें स्थान पर अपनी जगह बनाई, जबकि भारत 71वें स्थान पर रहा। यह भारतीय खेलों के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि उन्हें अपनी रणनीति में बड़े बदलाव करने की आवश्यकता है।

लॉस एंजिल्स 2028: क्या उम्मीदें हैं?

पेरिस ओलंपिक 2024 का प्रदर्शन भारतीय खेल प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। हालांकि, इसमें कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। पेरिस में 15 ऐसे इवेंट थे, जिनमें भारत पदक के बहुत करीब था। लॉस एंजिल्स 2028 में, उम्मीद है कि भारतीय दल अपने प्रदर्शन में सुधार करेगा और अधिक से अधिक पदक जीतकर लौटेगा। क्रिकेट के शामिल होने से भारत के पदक की संभावनाएं और भी बढ़ जाएंगी।

निष्कर्ष: आगे की राह

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय दल का प्रदर्शन अपेक्षाओं से कम रहा, लेकिन इससे हमें सीखने और सुधारने का मौका मिला है। प्रधानमंत्री मोदी का विजन और ‘खेलो इंडिया’ अभियान सही दिशा में कदम हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अगली बार जब हमारे एथलीट ओलंपिक में जाएं, तो वे अधिक पदकों के साथ वापस लौटें।

इस बार की असफलता से निराश होने के बजाय, हमें इसे एक चुनौती के रूप में लेना चाहिए और लॉस एंजिल्स 2028 के लिए एक मजबूत तैयारी करनी चाहिए। भारतीय खेल प्रेमियों के लिए यह समय है कि वे अपने खिलाड़ियों का समर्थन जारी रखें और उम्मीद करें कि अगली बार भारत ओलंपिक में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में और भी सफल रहेगा।

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लेखक के बारे में
क्रिकेट विशेषज्ञ

1987 में कोलकाता में पैदा हुए रोहन शर्मा ने 2012 में पुणे विश्वविद्यालय से स्पोर्ट्स सांख्यिकी में मास्टर्स की डिग्री पूरी की। 2013 से 2020 तक, उन्होंने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ सहयोग किया, खिलाड़ियों के एनालिटिक्स और खेल रणनीति के अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित किया। शर्मा ने 16 शैक्षिक पेपर लिखे हैं, मुख्य रूप से गेंदबाजी तकनीकों के विकास और फ़ील्ड प्लेसमेंट के परिवर्तन का समर्थन किया। 2021 में, उन्होंने पत्रकारिता में परिवर्तन किया। शर्मा वर्तमान में क्रिकेट पर विश्लेषणात्मक लेख लिखते हैं, मैच गतिकी और खिलाड़ी रणनीतियों पर दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, नियमित रूप से विभिन्न खेल-केंद्रित प्लेटफ़ॉर्मों में योगदान करते हैं।

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