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श्रीलंका और भारत के बीच खेले गए पहले वनडे मैच में जब दोनों टीमों का स्कोर बराबर हो गया, तो उस समय नियमों के अनुसार सुपर ओवर कराया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे यह सवाल खड़ा हो गया कि आखिर सुपर ओवर क्यों नहीं कराया गया? दरअसल, मैच अधिकारियों की अनदेखी और नियमों की सही जानकारी न होने के कारण यह गड़बड़ी हुई।
अधिकारियों की गलती से हुआ सुपर ओवर का चूक
मैच के दौरान मैदानी अंपायर जोएल विल्सन, रवींद्र विमलासिरी, मैच रेफरी रंजन मदुगले, टीवी अंपायर पॉल रायफेल और चौथे अंपायर रूचिरा पल्लीयागुरुगे ने यह गलती की कि उन्होंने आईसीसी के वनडे मैचों के लिए निर्धारित खेल परिस्थितियों को सही ढंग से नहीं समझा। नियमों के अनुसार, अगर मैच टाई हो जाता है, तो विजेता का फैसला करने के लिए सुपर ओवर खेला जाना चाहिए। लेकिन इस मामले में, अंपायरों ने सुपर ओवर पर चर्चा किए बिना ही मैच को समाप्त कर दिया।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल
मैच खत्म होने के बाद, जब खिलाड़ियों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाए और पवेलियन की ओर लौटे, तो दर्शकों और क्रिकेट प्रशंसकों के बीच सोशल मीडिया पर यह सवाल उठने लगे कि सुपर ओवर क्यों नहीं हुआ? इस गलती ने अधिकारियों की भूमिका पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया।
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भविष्य के लिए सबक
इस घटना के बाद, अधिकारियों के बीच चर्चा हुई और यह निर्णय लिया गया कि अगर तीन मैचों की इस सीरीज में आगे कोई मैच टाई होता है, तो सुपर ओवर अवश्य कराया जाएगा। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नियमों की सही जानकारी और उन्हें सही समय पर लागू करना कितना महत्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों से बचा जा सके।
इस मैच में भारत को 231 रनों का पीछा करते हुए आखिरी तीन ओवरों में सिर्फ पांच रन चाहिए थे, जबकि उनके पास दो विकेट बाकी थे। शिवम दुबे ने एक चौका लगाया, लेकिन 48वें ओवर में भारत ने दो लगातार विकेट गंवा दिए, जिससे मैच टाई हो गया।
निष्कर्ष
श्रीलंका-भारत के बीच इस मैच में सुपर ओवर न होना एक गंभीर गलती थी, जो अधिकारियों की अनदेखी और नियमों की जानकारी के अभाव के कारण हुई। यह घटना आईसीसी और क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक सबक है कि खेल के नियमों का सही पालन होना चाहिए, ताकि मैच का सही और निष्पक्ष परिणाम निकल सके।